Wednesday, June 3, 2009

आज बारिश हुई हैं

आज बारिश हुई हैं
मेरे आसमान ने जी भर के पानी बरसाया
और मेरी ज़मीन ने भी सारा का सारा अपनाया
कुछ फूल खिलने के इंतज़ार में थे
कुछ सूखे पत्ते बहने की इंतज़ार में थे
और मैं बारिश की सुगंध की राह में बैठा हुआ था
वोह महक जो ज़िन्दगी वापस लती हैं
वोह महक जो माहोल महकती हैं

बारिश हमें शायद यह ही सिखा जाती हैं की
ज़िन्दगी नए रूप में बार बार आती रहेगी
अपनी जिंदा फुहार बरसाती रहेगी
हमें बस उसके लिए तैयार रहना हैं
और बारिश में झूम झूम के कहना हैं
"बारिश तेरा शुक्रिया"

बारिश की बूंदों की बातें सुनने और समझने की कला
हमें ज़िन्दगी से मिला जाती हैं
और सिखा जाती हैं की
ज़िन्दगी बार बार बहार लगेयी
हर जीत का जशन बारिश की बूंदों की तरह
पुराने गिले शिकवों को धो जाएगा
और मैं फिर तय्यार हो जाऊँगा
एक नई ज़िन्दगी के लिए

3 comments:

Pritesh Dagur said...

Lovely thoughts.........makes me remember the line I heard at the end of Saaransh.......marte to hum log hain, jeevan to sada jeevit rehta hai. Kudos to this indomitable spirit of Life!

nagardee said...

nice one bhai.
pity i got late to read this one.

M VERMA said...

बारिश हमें शायद यह ही सिखा जाती हैं की
ज़िन्दगी नए रूप में बार बार आती रहेगी
यही जीवन का सच है कि इसमे नित नूतन स्वरूप है

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